Guru Angad Dev Ji Ka Sihan Uppal Ko Updesh
गुरु अंगद देव जी का सींहा उप्पल को उपदेश
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”इस साखी को सुनें”]
एक दिन श्री गुरु अंगद देव जी खडूर साहिब से गोइंदवाल की तरफ जा रहे थे। रास्ते में उन्हें सींहा उप्पल नाम का एक सिक्ख मिला जिसने गुरु जी के दर्शन पाते ही गुरु जी को नमस्कार की। सींहा उप्पल ने हाथों में बकरे पकड़े हुए थे जिसे देख गुरुजी ने पूछा ‘भाई सिक्ख इन बकरों का तुम क्या करोगे ?’, तो सींहा उप्पल ने जवाब दिया सतगुरू जी मेरे घर में पुत्र ने जन्म लिया है, आज शाम को प्रचलित रीति-रिवाज के अनुसार उसका मुंडन (केश काटे जाएंगे) होगा। इसलिए आने वाले दोस्तों और रिश्तेदारों को खिलाने के लिए इन बकरों को मार कर मीट की सब्जी तैयार करनी है। घर पर नाचना गाना भी होगा। यह सुन गुरुजी ने कहा ‘मेरे प्यारे सींहा तुम गुरु के सिक्ख हो और तुम्हें गुरु नानक के घर से यह शिक्षा है’ – 1. बच्चों के केशों का मुंडन नहीं गुंदन करना है। केश काटने नहीं है बल्कि सुन्दर ढंग से सवार कर, गूंथ कर जूड़ा करना है। 2. बच्चे ने जन्म लिया है अच्छी बात है लेकिन ऐसे अवसर पर बकरे को मार कर मीट तैयार करना, रिश्तेदारों को खिलाना, जीव हत्या करनी अच्छी बात नहीं है। खाएंगे तो तुम्हारे रिश्तेदार लेकिन इसका लेखा-जोखा तुम्हें स्वयं देना होगा। (खिलाना है तो श्रद्धा से गुरु का लंगर बना कर खिलाओ)। 3. खुशियों के मौके पर नाच गाना नहीं करना चाहिए, इससे पापों के भागीदार बन जाते हैं, बल्कि प्रभु के शुकराने में गुरबाणी गायन करनी चाहिए जिससे पुण्य तो मिलता ही है, मिली हुई सौगात को बाड़ (सुरक्षा) मिलती है।
शिक्षा- यह तीनों शिक्षाएं हमें भी अपने घरों में खुशियों के मौकों पर याद रखनी चाहिए।