Saakhi – Guru Nanak Dev Ji Or Chor
गुरू नानक देव जी और चोर
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एक बार एक चोर जो लोगों के घरों में सेंधमारी कर चोरी करने का काम किया करता था, गुरू नानक देव जी को मिला। गुरू साहब की संगत और गुरबाणी का कीर्तन सुनकर उसने अपने बुरे कर्मों के लिए गुरू साहब से माफी माँगी। गुरू साहब ने उसको चोरी का काम छोड़ इमानदारी का जीवन जीना को कहा। गुरू जी के वचन सुन उस चोर ने माफी मांगते हुए कहा कि मैं इमानदारी का जीवन नहीं जी सकता क्योंकि मुझे ओर कोई काम नहीं आता मैं ओर कुछ नहीं जानता। गुरू साहब मुस्कुराए और कहा कोई बात नहीं तुम सिर्फ यह तीन काम मत करना –
1. जिसका नमक खा लो उसका बुरा नहीं करना।
2. किसी गरीब के दु:ख का कारण मत बनना।
3. झूठ मत बोलना।
चोर ने गुरू साहब से यह वचन मानने का वादा किया और फिर से अपने उसी काम पर लग गया। एक बार उसने क्षेत्र के राजा के महल में सेंध लगाया और सभी गहने, पैसे ले कर पोटली बाँध ली और वहां से जैसे ही रवाना होने लगा तो उसे थोड़ी भूख महसूस हुई उसने वहीं मेज पर रखे पकवान को जैसे ही मुँह में रखा तो उसको पता लगा कि इसमें नमक है। उसको गुरू जी के वचन याद आ गए। चोर ने सारा समान जो इक_ा करके गठडिय़ों में बांध रखा था, वहीं छोड़ कर वापिस अपने घर आ गया।
जब राजा ने सुबह सामान बंधा हुआ देखा तो उसने यह काम दोबारा नाम हो और इसके जिम्मेदारी की खोज के लिए आस-पास के सभी गरीबों को पकड़ कर कष्ट देने शुरू कर दिए। जब चोर को इस बात का पता चला तो उसको गुरू साहब का दूसरा वचन (किसी गरीब के दु:ख का कारण नहीं बनना) याद आ गया। चोर ने राजा के पास पहुँच कर अपने चोर होने के बारे में बताते हुए गरीबों को कष्ट नहीं देने के बारे में कहा।
राजा को यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि एक चोर ख़ुद चल कर उसके पास आया है और गरीबों को सजा/कष्टों से बचाने के लिए अपना गुनाह कबूल कर रहा है। उसने चोर को गुनाह कबूलने का कारण पूछा तो चोर ने गुरू साहब के साथ हुई मुलाकात की सारी कहानी सुना दी और उनके साथ किये अपने वादों के बारे बताया। चोर की बात सुनकर राजा का मन बदल गया और उसको अपने बुरे कर्म याद आने लगे। उसने चोर को उसे गुरू साहब के साथ मिलावाने को कहा। गुरू साहब को मिलकर राजा ने अपने बुरे कर्मों की माफी माँगी और चोर जैसे इमानदारी का जीवन जीना शुरू कर दिया।
शिक्षा – हमें भी गुरू साहब के वचनों की पालना करनी चाहिए।
Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –