Saakhi – Guru Teg Bahadur Ji Par Hamla
गुरू तेग बहादुर जी पर हमला
बकाला में गुरू तेग बहादुर जी के बड़े भाई बाबा गुरदित्ता जी का बड़ा पुत्र धीर मल कर, गुरू बनने की आशा में डेरा लगा कर बैठा था। गुरू तेग बहादुर जी के गुरू प्रकट होने के बाद सिक्ख संगतें बहुत सारी माया और भेटाएं ले कर गुरू जी के पास हाजिर हुई थी। गुरू जी के पास संगतों की ओर से भेंट किया गया धन पदार्थ धीर मल से सहन नहीं हुआ। उसने अपने शीहां मसंद और अन्य लालची लोगों के साथ मिल कर गुरू तेग बहादुर जी का घर लूट लेने और उनको मार देने की योजना बना ली, क्योंकि उनके जीवित रहते धीर मल गुर-गद्दी प्राप्त नहीं कर सकता था।
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गुरू जी से विदाई लेकर मक्खन शाह के अपने डेरे चले जाने की सूचना मिलने के बाद धीर मल अपने साथ शीहां मसंद और कुछ अन्य बंदूक वालों को ले कर गुरू तेग बहादुर जी के घर पहुंच गया। शीहां मसंद ने गुरू तेग बहादुर जी पर निशाना लगा कर गोली चला दी। गोली गुरू जी के मस्तक को छूती हुई आगे निकल गई। गुरू जी का चेहरा खून से लथपथ हो गया। अब तक माता नानकी जी भी वहां पहुंच चुके थे। उन्होंने धीर मल से कहा कि तुम्हारा यह जोर (ताकत/धक्का) तुम्हारा कुछ नहीं संवार सकता। माता नानकी जी से ऐसे वचन सुन कर धीर मल बड़ा शर्मिन्दा हुआ। परन्तु वह गुरू घर से वापस जाते वक्त गुरू घर का सारा कीमती सामान लूट कर ले गया।
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दूसरे तरफ बंदूक चलने की आवाज सुन कर मक्खन शाह भी अपने आदमी ले कर गुरू घर पहुँच गया। माता नानकी जी ने उसे बताया कि कैसे धीर मल अपने साथ बंदूकों वाले को लेकर गुरू जी को मारने आया था और गुरू जी को जख्मी कर, लूट-मार कर वापस अपने डेरे चला गया था।
मक्खन शाह यह सुन कर अपने आदमियों सहित धीर मल के डेरे पहुँच गया। मक्खन शाह और उसके आदमियों को देखकर धीर मल के बंदूकों वाले भाग गए। मक्खन शाह ने लूट का सारा धन-पदार्थ इक_ा करवाया और अपने आदमी के साथ गुरू घर वापस भेज दिया। धीर मल को नंगे पैर चला कर और शीहां मसंद के हाथ पैर बाँध कर गुरू जी के पास ला पेश किया। गुरू तेग बहादुर जी ने यह सब कुछ देख कर मक्खन शाह को कहा, इनको छोड़ दो। यह सारा धन-पदार्थ भी इनको वापिस कर दो जो तुम इनके डेरे से लेकर आए हो। इन्होंने यह सब कुछ धन-पदार्थ के मोह में फंस कर किया है। जिस धन-पदार्थ से इनको सुख की आशा थी, उसी ने इनको दु:ख ही दिया है, इसलिए यह धन-पदार्थ इनके पास ही जाना ठीक है। गुरू जी का हुक्म मान कर मक्खन शाह ने सारा धन-पदार्थ उनको वापस कर दिया परन्तु गुरू ग्रंथ साहब की बीड़ (स्वरूप) वापस नहीं किया क्योंकि बीड़ सिक्ख धर्म के सच्चे गुरू से सम्बंधित थी।
शिक्षा – किसी के पास धन-पदार्थ देख कर ईष्या नहीं करना चाहिए। लूटमार और बेईमानी करके कमाया हुआ धन हमें कभी सुख नहीं दे सकता।
Waheguru Ji Ka Khalsa Waheguru Ji Ki Fateh
– Bhull Chuk Baksh Deni Ji –